Sunday, February 10, 2013

हम न रहें तो क्या 02-11


हम न रहें तो क्या …  




दर्द हल्का सा है,सांस भारी हैं, जीने की बस रस्म जारी हैं,

हे मौत मुझ से पर्दा ना कर, अब तेरे आने की बारी हैं।   



ना गिला मौत से हैं, ना शिकवा हैं  ज़िन्दगी से, 

बस रब का बुलावा है,सब छोड़ जाने की तयारी हैं। 



हम ना रहे तो क्या,हमारी यादें रहेंगी,

वहीँ  आपके, जीने का सहारा बनेंगी 


तन्हाई जब सताए, तक लेना आसमाँ 

बादलों में, धुंदली ही सही,आपको 

हामारी मुस्कुराती तस्वीर मिलेंगी


आँचल में छुपा लेना हमें,

दिल को तस्सली मिलेंगी 


गर  गम हद से गुजर जाए तो,चंद आंसू बहा देना,

आंसू पी जायेंगे हम,तड़पते रूह को राहत मिलेंगी.



हम ना रहे तो क्या,हमारी यादें रहेंगी,
 
वहीँ  आपके, जीने का सहारा बनेगी। 

1 comment:

  1. साहित्यकार की कभी मृत्यु नहीं होती वह साहित्य के माध्यम से सदा जीवित रहता है।

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kaviraj

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Kavita ka Kachumar