Monday, February 11, 2013

मील का पत्थर 02-11



मील  का  पत्थर 

Feelings of a Milestone

People put everything they have and beyond to achieve a milestone,but immediately after, forget all about it and proceed in the pursuit of the next one.

How does the Milestone feel about it, hero one moment, and totally forgotten the next,Please read my humble,feeble,but creative attempt at Hindi Poetry and express yourself.


मील का एक पत्थर हूँ मैं,
मुझ तक पोहंचपाना, मुश्किल हें। 

फिर भी पोहंचने की चाह रखते  हैं सभी
विफल  हो कर  भी, आस नहीं छोड़ते कभी। 

लेकिन जब पोहंच जाते हैं  तो,

पोहंच कर,आगे बढ़ जाट  सभी 
दोबारा  लौट कर नहीं आते कभी 
क्या मै किसी  को भाता नहीं ,

मुझ तक पोहंचने की चाह,होती है सब में
कृषी और संकल्प,बस होतें है कुछ में  
पहुँच पाना मुझ तक आसन नहीं ,
दिन में दिखा देता हूँ , तारे नभ में .

मील का एक पत्थर हूँ मैं,

मुझे पाने की चाह में, अपने  पराये  हो जाते हैं,
रात दिन में अंतर नहीं होता,
अभ्यास पुनर अभ्यास ही,परम लक्ष्य,हो जाते हैं .
स्वर्ग पाने की आस में,यम यातना के आदी  हो जाते हैं.

मील का एक पत्थर हूँ मैं,....

जब मैं दूर से नज़र आता हूँ , मन में  एक आस जगाता हूँ .
प्रण में दृढ़ता,प्रयत्न में नव उतेज्ना,और आशा की चिंगारी जगाता हूँ.

हर कदम एक कारनामा, और  हर कारनामा
एक अफसाना बन जाता है.
असंभव से संभव का सफ़र,
दिक्कतों से भरा क्यों न हो , पर अति  सुहाना प्रतीत  है.  

मील का एक पत्थर हूँ मैं,....

और जब मुझ तक पोहचता हैं कोई.
संतोश और सारताक्ता  का आभास दिल्लाता हू मैं.
ख़ुशी और प्रेम से आलिंगन करते हैं मुझे 
मानो जैसे माता पिता और दैव से भी उच्च स्थान हो मेरा.

मील का एक पत्थर हूँ मैं,....

लेकिन अगले हि पल...... 

मुझे भूल कर लोग बढ्ते हैं अगले मंजिल  कि और,
क्या यही हैं आज, जिंदगी के तौर,
क्यों कोई दुबारा आता नाही ,
क्या मैं किसी को भाता नाही 

मील का एक पत्थर हूँ मैं .....

लेकिन  फिर भी ...

 रंजिश हि सही  दिल को बहला ने के लिये आओ ,
इक बार फिर पास, फिर दूर जाने के लिये आओ .

वक़्त गर थम जाता यही,धुंधली यादें तजा करने के लिए,
बस याद कर लेते एक बार हमें  ,फिर भूल जाने के लिए 

मील का एक पत्थर  हूँ मैं.
दोबारा क्यों कोई आता नहीं,
क्या किसीको, मैं भाता नहीं

श्याम 

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