Shyam's Loud thinking shared with friends & contacts.
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Wednesday, April 23, 2014
एक अनोखा नजरिया 04-23
एक अनोखा नजरिया...... ,
ना तख़्त रहे हैं ना रहें हैं ताज,
न रहीं विक्टोरिया,ना ही मुमताज़।
जिस के साम्राज्य में सूरज कभी न ढलता था
प्रकाश की भीख,वे ही मांग रहे हैं, मानो चन्द्रमा से आज।
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