करे उजागर एक नवभारत, एक नव प्रभात
मैं शाख शाख,तू पात पात।
मैं बहता जल, तू जल प्रपात।
है चलना हमको साथ साथ।
दिन हो, या हो शीत रात।
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प्रक्षालन करना हैं हमको,तन से मन से, जन जीवन में,
हर जाति धर्म का,चाहे हो नर,या हो किन्नर,हर जीव,जात।
निर्मल हो आचार,स्फटिक सा हो व्यवहार
एक नव समाज का,चलो करे हम निर्माण
जहां उजागार हो,एक नव भारत, एक नव प्रभात.
प्रेरणादायक सुन्दर अभिव्यक्ति।
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